बिहार का इतिहास : प्राचीन काल

बिहार का इतिहास : प्राचीन काल


बिहार के प्राचीन काल का इतिहास की समय सीमा छठी शताब्दी तक मानी जाती है बिहार के प्राचीन काल का अध्ययन करने  के लिए हम इसे दो भागो में बाँट सकते है

पूर्व ऐतिहासिक काल
ऐतिहासिक काल



पूर्व ऐतिहासिक काल 

यह अत्यंत पुराना काल है इस काल में बिहार में आदिमानवो का निवास हुआ करता था जिनके साक्ष बिहार के मुंगेर, गया , पटना आदि स्थानों से मिले है
इस काल के प्राप्त अवशेषों में  कुल्हाड़ी, चाकू, खुर्पी,पत्थर के छोटे टुकड़ों से बनी वस्तुएँ तथा तेज धार और नोंक वाले औजार आदि प्रमुख है



ऐतिहासिक काल 

बिहार के इतिहास में ईशा पूर्व छटी शताब्दी को प्राचीन ऐतिहासिक काल माना जाता है इस समय बिहार में मुख्यतः चार राज्य विदेह (मिथिला), वज्जी, अंग, और मगध थे 

विदेह (मिथिला)

यह वैदिक कालीन भारत में एक प्राचीनतम साम्राज्य था जिसकी स्थापना राजा जनक ने की थी 
विदेह साम्राज्य की राजधानी मिथिला थी और विदेह को मिथिला नाम से भी जाना जाता था 
विदेह की सीमा उत्तर बिहार के मिथिला क्षेत्र से नेपाल के पूर्वी तराई क्षेत्र तक फैली थी 


वज्जी 

वज्जी प्राचीन भारत के सोलह महाजनपदो में से एक था जिसकी राजधानी वैशाली थी 
वज्जी बिहार में गंगा नदी के दायिने तट पर स्थित था 


अंग 

अंग भी प्राचीन भारत के सोलह महाजनपदो में से एक था जिसकी राजधानी चंपा थी जिसका पुराना नाम मालिनी था जो चंपा नदी के तट पर स्थित थी 
अंग महाजनपद का सबसे पहले उल्लेख अथर्ववेद में मिलता है 
अंग की पूर्वी सीमा इसके पड़ोसी राज्य मगध से लगी थी जो चंपा नदी से विभक्त होती थी 


मगध 

वर्तमान भारत के बिहार, झारखंड, ओड़िशा राज्य और बांग्लादेश एवं नेपाल तक मगध का क्षेत्र था 
मगध की पहली राजधानी राजगृह थी और बाद में पाटलिपुत्र को मगध की राजधानी बनाया गया 
मगध की राजधानी राजगृह का पुराना नाम गिरिवृज्ज था जिसे अजातशत्रु के शाशनकाल में राजगृह किया गया 
मगध एक विशाल साम्राज्य था जिस पर कई राजवंशो ने बारी – बारी  से शासन किया 
मगध के प्रमुख राजवंश  



वृहद्रथ वंश 

इस वंश के संस्थापक वृहद्रथ थे जिन्हें महारथ के नाम से भी जाना जाता था 
वृहद्रथ वंश मगध साम्राज्य का प्रारंभिक वंश था 


हर्यक वंश 

हर्यक वंश मगध पर शासन करने वाला दूसरा वंश था जिसकी राजधानी प्रारंभ में राजगीर व बाद में पाटलिपुत्र थी 
हर्यक वंश का संस्थापक बिम्बिसार या उसके पिता भट्टिय को माना जाता है 
हर्यक वंश के प्रमुख शासक बिम्बिसार, अजातशत्रु, उदयीन आदि थे 
हर्यक वंश के पश्चात बिहार में शिशुनाग वंश का राज्य हुआ 



शिशुनाग वंश 

इस वंश की स्थापना शिशुनाग ने 413 ईशा पूर्व में की जो हर्याक वंश के राजा नागदशक का मंत्री था 
प्रारंभ में इस राजवंश की राजधानी राजगीर थी जिसे बाद में पाटलिपुत्र लाया गया 
शिशुनाग साम्राज्य के शासनकाल में वैशाली में द्वितीय बौद्ध परिषद् का आयोजन 383 ईशा पूर्व में हुआ 


नन्द वंश 

नन्द वंश की स्थापना महापदम नन्द ने की , नन्द वंश का शासनकाल 345 से 321 ईशा पूर्व तक रहा 
महापदम नन्द को पुराणों में ‘सभी क्षत्रियो का संहारक’ बताया गया है 
नन्द वंश का  अंतिम शासक घनानंद था जो महापदम नन्द का पुत्र था 



मौर्य साम्राज्य 

मौर्य साम्राज्य कि स्थापना चन्द्रगुप्त मौर्य ने की जो 322 ईशा पूर्व में मगध की राजगद्दी पर बैठा|
मौर्य साम्राज्य के प्रमुख राजा चन्द्रगुप्त मौर्य, बिन्दुसार, अशोक थे 
मौर्य वंश के बाद बिहार में अनेक छोटे- छोटे राजवंशो ने शासन किया जिसके बाद गुप्त साम्राज्य का उदय हुआ 


गुप्त साम्राज्य 

गुप्त वंश का संस्थापक श्रीगुप्त था 
चन्द्रगुप्त प्रथम, समुद्र गुप्त एवं चन्द्रगुप्त द्वितीय गुप्त वंश के प्रमुख शासक थे