झारखण्ड का इतिहास

झारखण्ड का इतिहास



इस क्षेत्र को मुगल काल के दौरान ‘कुकारा’ के नाम से जाना जाता था। 

सन् 1756 के बाद अंग्रेज यहां शासन करने आए और इस धरती को झारखंड नाम दिया गया। 

सन् 1832 के आदिवासी विद्रोह ने झारखंड में स्थित ब्रिटिश प्रशासन पर बहुत असर डाला। 

सबसे लंबा और आखिरी आदिवासी विद्रोह ‘बिरसा मुंडा‘ के तहत सन् 1895 में हुआ और सन् 1900 तक चला। 

साल 1939 के आसपास पूर्व भारतीय हाकी खिलाड़ी जयपाल सिंह ने पहली बार तत्कालीन बिहार के दक्षिणी जिलों को मिलाकर झारखंड राज्य बनाने का विचार रखा था। 

02 अगस्त 2000 को दक्षिण बिहार का विभाजन करके देश के 28वें राज्य झारखंड का निर्माण किया गया था।