161.
निम्न कोटि के पुरुष केवल धन की कामना करते हैं।
मध्यम लोग धन और मान की कामना करते हैं ।
किंतु उच्च कोटि के पुरुष मान की कामना करते हैं मान ही उनका धन है।
162.
गन्ना, पानी,
दूध, कंदमूल फल,
पान तथा दवाइयों का सेवन करने के बाद
भी स्नान आदि और धर्म कार्य किए जा सकते हैं।
163.
दीपक अंधकार को खाता है और
उससे काजल की उत्पत्ति होती है।
इसी प्रकार मनुष्य जैसा अन्न खाता है
वैसे ही उसकी संतान उत्पन्न होती है।
164.
बुद्धिमान या अच्छे गुणों से युक्त मनुष्य को ही धन दो। गुण हीना को धन मत दो ।
समुद्र का खारा पानी बादल के मीठे पानी से मिलकर मीठा हो जाता है और इस संसार में रहने वाले सभी जीवो को जीवन देकर फिर समुद्र में मिल जाता है।
165.
तत्व को जानने वाले विद्वानों ने यह कहा है कि हजारों चांडाल के सामान एक दुष्ट व्यक्ति होता है ।
इससे बढ़कर इस संसार में कोई दूसरा नीच नहीं होता।
166.
तेल की मालिश करने के बाद,
चीता के धुंए के स्पर्श के बाद ,
स्त्री से संभोग करने के बाद ,
और हजामत आदि करवाने के बाद
मनुष्य जब तक स्नान नहीं कर लेता तब तक वह चांडाल होता है।
167.
भोजन के बीच में जल पीना अमृत के समान है।
अपच की स्थिति में जल पीना औषधि का काम देता है ।
और भोजन के पच जाने पर जल पीने से शरीर का बल बढ़ता है ।
परंतु भोजन के अंत में जल पीना जहर के समान हानिकारक होता है।
168.
आचरण के बिना ज्ञान व्यर्थ है।
अज्ञान से व्यक्ति नष्ट हो जाता है।
सेनापति के अभाव में सेना नष्ट हो जाती है।
और पति से रहित स्त्रियां भी नष्ट हो जाती हैं।।
169.
यदि व्यक्ति को ज्ञान है कि
कौन सा कार्य उचित है और कौन सा अनुचित ?
इसके बावजूद व्यक्ति अपने आचरण में
इस बात को नहीं अपनाता तो ऐसा ज्ञान व्यर्थ है।।
170.
वृद्धावस्था में पत्नी का देहांत हो जाना,
धन अथवा संपत्ति दूसरे के हाथ में चले जाना
और भोजन के लिए दूसरों पर आश्रित रहना
यह तीन बातें पुरुषों के लिए मौत की तरह दुखदाई होती है।।
171.
अग्निहोत्री आदि के बिना,
वेदों का अध्ययन व्यर्थ है ।
तथा दान दक्षिणा के बिना,
यज्ञ आदि कर्म निष्फल होते है।।
172
श्रद्धा और भक्ति के बिना,
किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त नहीं होती।।
मनुष्य की भावना, उसके विचार, उसकी सब सिद्धियों ही सफलताओं का कारण मानी गई है।।
173.
लकड़ी, पत्थर अथवा धातु की मूर्ति में
प्रभु की भावना और श्रद्धा रखकर उसकी पूजा की जाएगी तो अवश्य सिद्धि प्राप्त होती है ।
प्रभु भक्तों पर अवश्य प्रसन्न होते हैं।
174.
देवता अथवा परमेश्वर,
काठ व पत्थर की मूर्ति में नहीं है।
परमेश्वर तो मनुष्य की भावना में विद्यमान रहते हैं।
अर्थात जहां मनुष्य भावना द्वारा उसकी पूजा करता है वही प्रभु प्रकट होते हैं।।
175.
शांति के समान कोई तप नहीं,
संतोष से उत्तम कोई सुख नहीं ,
कृष्णा से बढ़कर कोई रोग नहीं ,
दयालुता से बढ़कर कोई धर्म नहीं।।
176.
क्रोध यमराज के समान है ।
इच्छाएं वैतरणी नदी के समान है।
विद्या कामधेनु के सामान है
और संतोष नंदनवन यथार्थ इंद्र के उद्यान के समान है।।
Never end - वैतरणी
177.
शील कुल को अलंकृत कर देता है।
सिद्धि विद्या को भूषित करती है
भोग धन को घोषित करता है।।
गुण मनुष्य के रूप सौंदर्य को अलंकृत करता है।
Use of Knowledge and Money
178.
गुणहीन मनुष्य का
सुंदर अथवा रूपवान होना व्यर्थ होता है ।
जिस व्यक्ति का आचरण,
शील स्वभाव से युक्त नहीं उसकी कुल में निंदा होती है।
179.
जिस धन का उपयोग नहीं किया जाता
वह धन भी व्यर्थ है।
जिस व्यक्ति में कार्य को सिद्ध करने की शक्ति नहीं,
ऐसे व्यक्ति की विद्या व्यर्थ है।।
180.
पतिव्रता नारी पवित्र होती है।
संतोषी ब्राह्मण को भी पवित्र माना गया है।
लोगों का कल्याण करने वाला राजा पवित्र माना जाता है।
पृथ्वी के गर्भ से निकलने वाला पानी शुद्ध माना जाता है।
181.
संतोष सहित ब्राह्मण,
संतुष्ट होने वाला राजा,
शर्म करने वाली वैश्या
और लज्जाहीन कुलीन स्त्रियां नष्ट हो जाती हैं।
182
यदि कुल विद्या हिना है तो
उसके विशाल और बड़े होने से कोई लाभ नहीं।।
यदि बुरे कुल में उत्पन्न हुआ व्यक्ति
विद्वान है तो देवता लोग भी उसकी पूजा करते हैं।।
183.
विद्या की सब जगह पूजा होती है।
प्रत्येक वस्तु की प्राप्ति विद्या द्वारा ही होती है ।
इस संसार में विद्वान की प्रशंसा होती है और
विद्वान को ही आदर सम्मान और धन्य धान की प्राप्ति होती है ।
184.
निरक्षर लोग,
मद्यपान करने वाले ,
मांस का भक्षण करने वाले ,
रंग - रूप और आकार में मनुष्य के समान होते हुए भी पशुओं से भिन्न नहीं होते।
इनके भार से ही पृथ्वी दबी हुई है।
Chanakya niti 08
161.
Low class men only wish for money.
Medium people wish for wealth and prestige.
But high-ranking men wish for honor, which is their wealth.
162.
sugarcane, water,
milk, tuber fruit,
After consuming paan and medicines
Bathing etc. and religious activities can also be done.
163.
The lamp eats the darkness and
From it comes the origin of kajal.
similarly eats food like a human
That's how his child is born.
164.
Give money only to a person who is intelligent or with good qualities. Don't give wealth to Heena.
The salt water of the sea mixes with the fresh water of the cloud and becomes sweet and after giving life to all the living beings in this world, it gets mixed again in the sea.
165.
Scholars who know the element have said that there is a wicked person like thousands of Chandalas.
There is no other inferior in this world than this.
166.
After oil massage,
After the touch of cheetah smoke,
After having sex with a woman,
and after shaving etc.
A man is a Chandala until he takes a bath.
167.
Drinking water in between meals is like nectar.
In the case of indigestion, drinking water acts as a medicine.
And after the food is digested, drinking water increases the strength of the body.
But drinking water at the end of a meal is as harmful as poison.
168.
Knowledge without practice is meaningless.
Ignorance destroys a person.
In the absence of a commander, the army perishes.
And women without husband also perish.
169.
If the person has the knowledge that
Which act is right and which is inappropriate?
Despite this, the person in his conduct
If you do not follow this, then such knowledge is useless.
170.
wife's death in old age,
passing of money or property into the hands of another
and depend on others for food
These three things hurt like death for men.
171.
Without Agnihotri etc.,
Studying the Vedas is useless.
And without charity,
Yagya etc. are fruitless.
172
Without faith and devotion,
There is no success in any work.
Man's feeling, his thoughts, all his accomplishments have been considered as the reason for success.
173.
in a sculpture of wood, stone or metal
If God is worshiped with the feeling and faith of him, then surely accomplishment is achieved.
The Lord certainly is pleased with the devotees.
174.
God or God
There is no idol in wood and stone.
God exists in the spirit of man.
That is, where man worships him with emotion, the same God appears.
175.
There is no penance like peace,
There is no better happiness than contentment,
There is no disease greater than Krishna,
There is no religion greater than kindness.
176.
Anger is like Yamraj.
Desires are like a river.
Vidya is like Kamdhenu
And Santosh Nandanvan is like the real Indra's garden.
Never end - Vaitarni
177.
The modesty adorns the clan.
Siddhi adorns learning
Bhog declares wealth.
Virtues adorn the beauty of the human form.
Use of Knowledge and Money
178.
virtuous man
Being beautiful or beautiful is useless.
the person's conduct,
Not possessing modesty nature, he is condemned in the family.
179.
money that is not used
That money is also useless.
The person who does not have the power to prove the work,
The knowledge of such a person is useless.
180.
A virtuous woman is pure.
Santoshi Brahmin is also considered holy.
The king who does the welfare of the people is considered holy.
The water coming out of the womb of the earth is considered pure.
181.
Brahmins with contentment,
Satisfied King,
shame whore
And the shameless noble women perish.
182
If total knowledge is Hina then
There is no benefit to him being huge and big.
If a person born in bad family
If he is a scholar, then even the deities worship him.
183.
Vidya is worshiped everywhere.
Everything is attained through knowledge.
In this world the scholar is praised and
Only the scholar gets respect, respect and blessed paddy.
184.
illiterate people,
drinkers,
meat eaters,
Despite being similar to humans in color, form and shape, they do not differ from animals.
The earth is buried by their weight.