01. पानी की तरह बनो जो अपना रास्ता खुद बनाता है । पत्थर की तरह नहीं जो दूसरों का रास्ता भी रोक देता है ।
02. डर को समाप्त करने का एकमात्र उपाय है। निडर होकर उसका सामना करना।
03. अन्न, जल, और मीठे वचन ही इस पवित्र धरती के असली रत्न है।
04. अपनी जुबान की ताकत कभी भी अपने माता-पिता पर मत आजमाओ, जिन्होंने तुम्हें बोलना सिखाया।
05. दूसरों के घर जाकर पंचायत वही करते हैं, जिन्हें खुद के घर में कोई इज्जत नहीं मिलती।
06. उम्र थका नहीं सकती,
ठोकरे गिरा नहीं सकती,
अगर जिद हो जितने की तो हार भी हरा नहीं सकती।
07. सबसे बड़ा गुरु मंत्र, कभी भी अपने राज किसी को ना बताएं, यह आपको बर्बाद कर देगा।
08. जितने लोगों का विरोध आप झेलते हो, उतने ही आपका भविष्य उज्जवल होता जाता है।
09. सफर छोटी ही सही मगर यादगार होनी चाहिए, और रंग काला ही सही मगर वफादार होना चाहिए।
10. हर सेकेंड का प्रयोग करना सीखो क्योंकि छोटी छोटी बूंद से घड़ा भरता है।
11. बुरी बात यह है कि समय कम है।
अच्छी बात यह है कि अभी भी समय है।
12. लोग आपकी बातों का यकीन तब तक नहीं करेंगे, जब तक आप के परिणाम उन्हें हिला नहीं देते।
13. कामयाब होने वाले रास्ते खोज लेते हैं, और नाकामयाब होने वाले बहाने ।
14. अपने लिए नहीं तो सही, कम से कम अपने माता-पिता के लिए ही सफल बन जाओ ।
जिन्होंने तुम्हारा जीवन बनाने के लिए अपना जीवन त्याग दिया।
15. मैदान में अकेले डटे रहने का साहस रखो फिर चाहे पूरी दुनिया आपके के खिलाफ क्यों न हो जाए।
16. फिर से प्रयास करने से मत घबराना, क्योंकि इस बार शुरुआत शून्य से नहीं अनुभव से होगी।
17. असफलता का मौसम, सफलता के बीज बोने के लिए सर्वश्रेष्ठ समय है।
18. आजकल के रिश्ते झूठ बोलने से नहीं, बल्कि सच बोलने से टूट जाते हैं।
19. जिन्हें किसी चीज का लालच नहीं होता, वह अपना हर काम बहुत जिम्मेदारी से करते हैं।
20. सब दुख दूर होने के बाद मन प्रसन्न होगा यह आपका भ्रम है । मन प्रसन्न रखे सब दुख दूर हो जाएंगे यह वास्तविकता है।
21. उन्हें हराने की कोशिश कभी मत करना जिन्होंने तुम्हें जितना सिखाया है।
22. आज से 1 साल बाद शायद आपकी यह इच्छा होगी कि काश आपने आज से शुरू कर दिया होता।
24. खुश रहना है तो जिंदगी के फैसले अपने परिस्थिति को देख कर लीजिए । दुनिया को देखकर जो फैसले लेते हैं वह दुखी ही रहते हैं।
25. सब्र और सहनशीलता कोई कमजोरी नहीं होती , बल्कि यह हुआ अंदरूनी ताकत है जो सब में नहीं होती।